Wednesday, May 13, 2020

पदार्थ की संरचना (structure of matter)/ Dalton's Atomic Theory (डाल्टन का परमाणु सिद्धांत)

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
John-Dalton









डाल्टन का परमाणु सिद्धांत

1808 ईसवी में जॉन डाल्टन ने एक परमाणु की  परिकल्पना प्रस्तुत की  जो प्रयोगों तथा परीक्षणों के परिणामों  पर आधारित थी। डाल्टन ने अपनी परिकल्पना में इस बात की पुष्टि की कि, पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है जिन्हें परमाणु कहते हैं तथा जो रसायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है। डाल्टन ने परमाणु परिकल्पना के आधार पर द्रव्य की रचना ,रासायनिक संयोग के नियमों तथा भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों की विवेचना की। अनेक प्रयोगों और परीक्षणों के परिणामों ने डाल्टन की परिकल्पना की सत्यता प्रमाणित की। डाल्टन की परिकल्पना एक वैज्ञानिक सिद्धांत के रूप में मान्य हुई जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कहते हैं।
 डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार,
1.सभी पदार्थ अनेक सूक्ष्म कणों से बने हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं।
2. परमाणु किसी तत्व का सूक्ष्मतम  कण है जिसे विभाजित नहीं किया जा सकता है जो रासायनिक अभिक्रिया में अपरिवर्तित बना रहता है।


3. परमाणुओं को  न तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है।
4. परमाणु अनेक प्रकार के होते हैं। जितने प्रकार के तत्व हैं उतने ही प्रकार के परमाणु हैं।
5. एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणों में एक दूसरे के समान होते हैं और इनका द्रव्यमान निश्चित होता है।
6. तत्वों के परमाणु आकार द्रव्यमान तथा अन्य सभी गुणों में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।
7. रासायनिक परिवर्तनों में परमाणु अपना अस्तित्व बनाए रखते हैं। इनमें उनका केवल संयोजन पृथक्करण अथवा पुनर व्यवस्थापन (rearrangement) होता है।
8. दो या दो से अधिक तत्व के परमाणु सरल गुणित अनुपात(1:1,1:2,2:1,2:3 आदि) मैं संयुक्त होकर यौगिक  परमाणु  बनाते है।
9. एक ही यौगिक के सभी यौगिक परमाणु समान होते हैं।
10. किसी यौगिक के यौगिक परमाणु में तत्वों के परमाणु की संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।
  अतः डाल्टन के परमाणु वाद के आधार पर "परमाणु तत्व का वह सूक्ष्म तम अविभाज्य कौन है जो किसी भी रसायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है।"

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत कमियाँ -


डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की कुछ कमियां निम्नलिखित हैं:-
1. द्रव्य सम्बन्धी  डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की प्रमुख कमी यह है कि परमाणु को अविभाज्य (जो विभाजित नहीं किया जा सकता ) माना गया था। आधुनिक खोजो से ज्ञात हो चुका है कि परमाणु अविभाज्य नहीं है। उसे विशेष परिस्थितियों में ,तीन प्रकार के मूल-कणों- इलेक्ट्रॉन(Electron) ,प्रोटॉन (proton)तथा न्यूट्रॉन (neutron)में  विभाजित किया जा सकता है।
2. डाल्टन का परमाणु सिद्धांत इस बात को समझाने में असफल रहा है कि एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने कुछ पदार्थ  गुण  धर्मों में भिन्न क्यों होते हैं?
  उदाहरणार्थ -चारकोल, हीरा तथा ग्रेफाइट सभी पदार्थ एक ही प्रकार के कार्बन परमाणुओं से बने होने पर भी गुण धर्मों में भिन्न होते हैं।
3. डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार, किसी एक तत्व के सभी परमाणु का द्रव्यमान समान होता है। अब यह ज्ञात  किया जा चुका है कि एक ही तत्व के परमाणु का द्रव्यमान भिन्न-भिन्न भी हो सकता है।
4. डाल्टन ने द्रव्य के परमाणु सिद्धांत में बताया कि विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं। अब यह ज्ञात हो चुका है कि विभिन्न तत्वों के परमाणुओं  के द्रव्यमान समान भी हो सकते हैं ।
5. डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार ,परमाणु को ना तो नष्ट किया जा सकता है और ना निर्मित ही किया जा सकता है। अब यह ज्ञात हो चुका है की किसी तत्व के परमाणु को दूसरे तत्व के परमाणु में परिवर्तित किया जा सकता है -अर्थात एक प्रकार के परमाणु को नष्ट करके दूसरे प्रकार का परमाणु उत्पन्न किया जा सकता है।

6. डाल्टन के परमाणु सिद्धांत में बताया गया कि परमाणु सदैव सरल पूर्णांक अनुपात   में  संयोग करके यौगिक  बनाते हैं। अनेक कार्बनिक यौगिकों में तत्वों के परमाणुओं का अनुपात पूर्ण सांख्यिक तो होता है,  परंतु यह सरल नहीं होता है।


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