Thursday, May 14, 2020

बोर का परमाणु मॉडल (Bohr's Atomic Model)

बोर का परमाणु मॉडल(Bohr's atomic model)

 नील्स बोर( Neils Bohr) ने रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तुत नाभिकीय मॉडल की कमियों को दूर किया। उन्होंने रदरफोर्ड के नाभिकीय सिद्धांत पर यह दोष लगाया कि उर्जा उत्सर्जन के कारण इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा छोटी करते जाएंगे तथा अंत में नाभिक में पहुंचकर अपना अस्तित्व नष्ट कर देंगे |उन्होंने यह दोष  क्वांटम सिद्धांत( Quantum theory) की सहायता से दूर किया।
 बोर मॉडल की परिकल्पनाएं (Postulates of Bohr's model)

1. परमाणु में एक धन आवेशित नाभिक होता है जिसमे परमाणु का  लगभग संपूर्ण द्रव्यमान निहित होता है।
2. नाभिक के चारों ओर घूमने वाला इलेक्ट्रॉन केवल कुछ विशेष कक्षाओं में ही घूर्णन  कर सकता है। इन्हें स्थाई कक्षाए (Stationary orbits) कहते हैं। यह कक्षाएं ऐसी होती हैं कि इनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग(Angular momentum) राशि  h/2𝝅 का केवल पूर्ण  गुणित(Integral multiple) ही हो सकता है।[h प्लान्क नियतांक( Planck's constant ) है जिसका मान 6.63×10⁻³⁴जुल-सेकंड होता हैं।]
3. स्थायी  कक्षा में घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन विकिरण ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करता।
4. प्रत्येक कक्षा में, उसके कोणीय संवेग के अनुसार, इलेक्ट्रॉन की संपूर्ण (गतिज +स्थितिज) ऊर्जा निश्चित होती है। अर्थात परमाणु की कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा  के कुछ निश्चित तथा असतत( Discreet) मान ही संभव होते हैं।
5. जब इलेक्ट्रॉन उच्च कक्षा से निम्न कक्षा(Orbit) में जाता है तो ऊर्जा उत्सर्जित (Radiate)करता है और जब इलेक्ट्रॉन निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में जाता है तो ऊर्जा अवशोषित( Absorb)होती है।
 यदि कक्षा की ऊर्जा को E₁ और E₂ से प्रदर्शित किया जाए तथा ऊर्जा स्तर E₂ से E₁ में जाने पर उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति(v)हो तो
                                           E₂-E₁=∆E =hv
परमाणु के ऊर्जा स्तर(Energy Levels of Atom)-  


Bohr-model




बोर के परमाणु रचना के सिद्धांत के अनुसार इलेक्ट्रान नाभिक के चारो ओर कुछ निश्चित कक्षाओं में ही परिक्रमा कर सकते हैं जिन्हें स्थायी कक्षा कहते हैं |इन कक्षाओं की त्रिज्याएँ निश्चित होती हैं तथा इनमे परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रान की एक निश्चित ऊर्जा होती है |
अतः इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर कहते हैं | नाभिक से प्रारंभ करके इन कक्षाओं को 1,2,3,4,5...........आदि अंको अथवा K,L,M,N....................आदि अक्षरों से प्रदर्शित करते हैं |1,2,3,4,5...........आदि को कक्षा की मुख्य क्वांटम संख्या (principal quantum numbers) कहते हैं और n से निरुपित करते हैं | नाभिक के तुरंत बाद वाली कक्षा के लिए मुख्य क्वांटम संख्या n=1 होती है| इसे पहली कक्षा कहते हैं | इस कक्षा में परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रानो की ऊर्जा सबसे कम होती है| इन कक्षाओं को कोष (shell) भी कहते हैं |

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